हम बीज हैं वो, जो गुमनाम होता है, अंधेरे वादियों में चला जाता है, न कोई उसका तकमील देख पाता है, न उसका कोई तासीर देख पाता है, न कोई उसका हुस्न देख पाता है, न कोई तजवीज देख पाता है, ऊपरी सोर सार से गुमनाम होता है, वो इतने बड़े दरख़्त का बुनियाद बनता है,
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