खैनी में निकोटीन (Nicotine) नामक एक नशे वाला रासायनिक तत्व होता है।
यह मस्तिष्क (brain) में जाकर डोपामीन नामक रसायन को असंतुलित कर देता है — जिससे थोड़ी देर के लिए सुकून या ध्यान का एहसास तो होता है, लेकिन यह आदत और नुकसान दोनों पैदा करता है।
2. याददाश्त पर इसका असर
ब्रेन सेल्स को नुकसान:
निकोटीन मस्तिष्क की नसों को धीरे-धीरे कमजोर करता है, जिससे सीखने और याद रखने की क्षमता घटने लगती है।
ब्लड फ्लो में कमी:
खैनी से ब्लड प्रेशर और हृदय गति बढ़ती है, जिससे दिमाग तक ऑक्सीजन की सप्लाई कम होती है। इससे ध्यान, एकाग्रता और स्मृति (memory) पर नकारात्मक असर पड़ता है।
तनाव और बेचैनी:
जब शरीर को निकोटीन की आदत लग जाती है, तो उसके बिना व्यक्ति चिड़चिड़ा, थका हुआ या ध्यान केंद्रित न कर पाने वाला महसूस करता है। यह भी याददाश्त को कमज़ोर बनाता है।
लंबे समय का असर:
लम्बे समय तक खैनी खाने से न्यूरोलॉजिकल (मस्तिष्क से जुड़ी) समस्याएँ, स्मृति-हानि (memory loss) और धीमी सोचने की क्षमता देखी गई है।
3. क्या किया जा सकता है
खैनी तुरंत छोड़ें। कुछ दिनों में शरीर का निकोटीन स्तर घटेगा और मस्तिष्क की कार्यक्षमता सुधरने लगेगी।
व्यायाम और योग करें, जिससे मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बढ़े।
आहार में बादाम, अखरोट, ब्लूबेरी, और ओमेगा-3 फूड्स शामिल करें — ये याददाश्त मजबूत करते हैं।
पर्याप्त नींद और ध्यान (Meditation) से दिमाग़ को आराम और संतुलन मिलता है।
निष्कर्ष:
खैनी से मिलने वाला “सुकून” अस्थायी होता है, लेकिन इसका दिमाग़ और याददाश्त पर गहरा और नुकसानदेह असर पड़ता है।
इसे छोड़ना ही सबसे बड़ा “स्मार्ट निर्णय” है — जिससे आप न सिर्फ़ शारीरिक रूप से स्वस्थ, बल्कि मानसिक रूप से भी मज़बूत और याददार (sharp memory) बन सकते हैं।
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