पर मैं बढ़ता गया रास्ता देख कर,
खुद ब खुद मेरे नजदीक आती गई,
मेरी मंजिल मेरा हौंसला देख कर
2. जब हौसला बना लिया ,
ऊंची उड़ान का
फिर देखना फिजूल है
कद आसमान का
3. चलता रहूँगा पथ पर,
चलने में माहिर बन जाऊँगा,
या तो मंजिल मिल जायेगी या
अच्छा मुसाफ़िर बन जाऊँगा…
चलने में माहिर बन जाऊँगा,
या तो मंजिल मिल जायेगी या
अच्छा मुसाफ़िर बन जाऊँगा…
4. सितारों से आगे , जहां और भी है।
अभी इश्क़ की इम्तहान और भी है।
5. मैं अकेला ही चला था, जानिबे मंज़िल मगर,
लोग आते गए और कारवाँ बनता गया ।
6. हम को मिटा सकें ये ज़माना, ज़माने में दम नही।
हम से जमाना खुद है, ज़माने से हम नही।
7. मेरे जुनून का नतीजा ज़रूर निकलेगा।
इस सियाह समुंदर से नूर ज़रूर निकलेगा।
8. मंज़िल से जरा कह दो, अभी पहुंचा नही हूं मैं
कदमो को बांध न पाएंगी, मुसीबत कि जंजीरें,रास्तों से जरा कह दो, अभी भटका नही हूं मैं
सब्र का बांध टूटेगा, तो फ़ना कर के रख दूंगा,
दुश्मन से जरा कह दो, अभी गरजा नही हूं मैं
दिल में छुपा के रखी है, लड़कपन कि चाहतें,
मोहब्बत से जरा कह दो, अभी बदला नही हूं मैं
साथ चलता है, दुआओ का काफिला
किस्मत से जरा कह दो, अभी तनहा नही हूं मैं....
9. खोजेंगे अगर तभी तो रास्ते मिलेंगे
मंजिलो की तो फितरत होती हैं
खुद चलकर आती नही
हमें ही अपनी मंजिल की तरफ़
कदम बढ़ाना पड़ता हैं।
मंजिलो की तो फितरत होती हैं
खुद चलकर आती नही
हमें ही अपनी मंजिल की तरफ़
कदम बढ़ाना पड़ता हैं।
10. वक्त के साथ बदल जाओ या फिर सीखो वक्त बदलना,
मजबूरियों को कोसो मत, हर हाल में सीखो चलना।
मजबूरियों को कोसो मत, हर हाल में सीखो चलना।
11.तकदीर बदल जाएगी अगर रखो जिंदगी का कोई मकसद, वरना उम्र कट जाएगी तकदीर को दोष देते देते।
12.अपने हर सपने को सांसों में रखों
अपनी हर मंजिल को अपनी बाहों में रखोंहर जीत आपकी होगी
बस अपने लक्ष्य को अपनी आँखों में रखों।
13. हिम्मत मत हारिए चाहे मंजिल कितनी ही दूर क्यों ना हो, क्योंकि पहाड़ों से निकलने वाली नदी कभी सागर का रास्ता नहीं पूछती।
14.जीवन में कोई लक्ष्य ना होने पर आप अपनी जिंदगी को जीवन के मैदान में इधर उधर दौड़ते हुए बिता देंगे लेकिन एक भी गोल नहीं कर पाएंगे।
15.कोई भी लक्ष्य इन्सान के साहस से बड़ा नहीं, और हारा वही जो लक्ष्य के लिए लड़ा नहीं।
16.जीवन की बड़ी त्रासदी यह नहीं है कि आप लक्ष्य तक नहीं पहुँच पाए बल्कि त्रासदी तो यह है कि आपके पास पहुँचने के लिए कोई लक्ष्य ही नहीं था।
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